थोडं समजून घ्यावंकोमजलेल्या मनालातुझ्या माझ्या प्रितीच्यादळवलेल्या सुगंधाला----------------------------------एक धागा सुखाचाबाकी सारे दुःखाचीदुःखाच्या धाग्यांनाझालर आहे प्रेमाची----------------------------------डोळ्यातला ओलावाहा जखमीचाच काही भाग होतामनातल्या वेदनांनाजागवण्याचे काम करीत होता----------------------------------भेटशील का तु कधीतरीप्रेमाच्या नव्या वाटेवरदळवलेल्या स्पर्शानेन कोणत्याही उणीवांवर----------------------------------तु ना त्या आकाशातल्या चांदणी सारखी आहेसफक्त दिसते जवळ तु पण येत नाही मी येऊ शकत नाही----------------------------------मी माझं मला शोधतोयआधी सारखा मी दिसत नाहीकुठे हरवलो, काहीच कळतं नाही----------------------------------थकले असेल मन माझे जरी,पण खेळ अजून संपला नाही.कारण...."मी अजून मैदान सोडलं नाही"----------------------------------विसरणं खरंच कठीण आहेआठवणी खूप सतावतातअश्रू आवरायचे ठरवलं तरीडोळे उगीचचं पाणवतात----------------------------------घुसमटलेल्या मनाचेरंग असे उधळू देसाचलेल्या वेदनांनाआनंदाची बहर येऊ दे----------------------------------दुस-याला होणारा आनंद बघून जर तुम्हाला आनंद होत असेल आणि दुस-याला होणा-या दुःखाची वेदना तुम्हाला कळत असेल तर तुम्ही माणूस म्हणून जगायला लायक आहात.----------------------------------माझी ओळख असावी कशीयात मोठी कसरत आहेकाम सोडून ओळखी करणहा सुद्धा बावळट पणाच आहे----------------------------------आता मीच ठरवलंतुझ्यापासून दूर जाण्याचंफक्त स्वप्नांमध्ये जगायचंआठवणीचं ओझं सोबत नेण्याचं -०१/१०/२०२०----------------------------------जो वेळ गमवतो त्याच्याकडेशेवटी गमवायला काहीच राहत नाही. -०२/१०/२०२०----------------------------------कधी कळेल तुलामाझ्या मनातील गुपितस्वप्नांच्या जगातजपले तुला प्रेमाच्या कुशीत -११/१०/२०२०----------------------------------तुझ्या स्वाधीन केले शब्दांनाम्हणून सुचता ओळीभावनांना मांडूनतयार होती चारोळी -१९/१०/२०२०----------------------------------मन माझे वेडेतुझ्यात गुंतलेतुझ्या प्रेमाने घातलेह्दयाला वेढे -११/०२/२०२१----------------------------------उधळण झाली आकाशावरसूर्याच्या किरणांनीशोभून दिसते धरतीनभाच्या डोलांनी----------------------------------स्वप्नांचा झुलाआकाशी बांधावाभरारी उंच घेतध्येयावर निशाना साधावा----------------------------------हा पाऊस मज सांगतोआठवणी तुझ्यापावसात भिजून रंगतोस्पर्शांनी तुझ्या----------------------------------विचार व मन आकाशासारखे पाहीजेनिर्मळ, स्वच्छ व सर्व काही सामावून घेणारं----------------------------------स्वप्न बहरून यावेता-यांच्या संगतीनेमारावी मिठी गगनालाचांदण्यांच्या साक्षीने----------------------------------घरटे सोडून जातानामन कसं उडतं जातंआकाशी झेप घेतवा-या सोबत डोलतं जातं----------------------------------छंद जरा वेगळाचस्वतः च्या दुनियेत रमणंएकांताचा शोध घेणंफक्त कविता लिहीतराहणं - ०२/११/२०२०----------------------------------कळला नाही तुला अर्थमाझ्या कवितेचा प्रत्येक शब्दाचात्या शब्दातून वाहणा-या प्रत्येक अश्रुंचाका नाही कळला तुला अर्थ माझ्या प्रेमाचा----------------------------------निसटून गेले क्षण सारेराहिल्या फक्त आठवणीभावनांना उजाळा देऊ कसामनी फक्त साठवणी----------------------------------किती लिहू तुझ्यावरआता शब्दच संपलेमी बघताच तुझ्याकडेशब्द परत नाचत आले----------------------------------कविता माझी असली तरीअस्तित्व मात्र तुझंच आहेशब्द माझे असली तरीवर्णन मात्र तुझंच आहे -०१/०८/२०२९----------------------------------चिंता नसते तुझ्याशीबोलणं झाल्यावरअशीच सोबत रहाआयुष्याच्या प्रत्येकवळणावर -०२/०८/२०२०----------------------------------तु समोर आली कीमला बोलू देत नाहीतु जवळ नसली तरमला करमत नाही -०३/०८/२०२०----------------------------------प्रेम आपलं बदनाम होऊ नये म्हणूनतुच माझ्यापासून दूर झालीदुनियादारीची रीत सांभाळता सांभाळताआपल्या प्रेमाची बळी दिली -०४/०८/२०२०----------------------------------संस्कृतीवर झालेल्या प्रहाराचविषमतेकडे जाणा-या समतेचमानवतेवर झालेल्या आघाताच -२६/०९/२०२०----------------------------------काय करावं काहीचकळतं नाहीजे करतो, तिथेनवं काही उमजत नाही -०१/०७/२०२०----------------------------------तु समोर आली कीमला बोलू देत नाहीतु जवळ नसली तरमला करमत नाही -०३/०८/२०२०----------------------------------स्वप्न असे असावे जगावेगळेकी असावे किरण सोनेरीपक्षालाही लाजवावेअशी घ्यावी झेप गगनावरी----------------------------------सांग बरं तुच आतातुझ्याशिवाय कसं राहायचंतु नसताना,कोणासाठी जगायचं----------------------------------तुझं माझं करता करताआयुष्य असेच संपून टाकताअस्तित्व टिकवता टिकवताआपलेच दूर निघून जाता----------------------------------नेहमी तुझ्यासमोर झुकायचीसवय झाली होती मलाम्हणूनच कदाचित माझीकदर समजली नाही तुला----------------------------------ते म्हणतातस्टेशनचे नांव बदलण्याचीकाय गरज होतीमी म्हणतोमग "खान" पासून "गांधी"बनण्याची पण काय गरज होती----------------------------------वाहिले मी स्वतःलाशब्दांच्या सहवासातशस्त्र हे लेखणीचे घेऊनजातो शब्दांच्या अंतरंगात----------------------------------मनाची घालमेलमनाला बेड्या घालून जातेशब्दांची अवहेलनामनाला तडा देऊन जाते----------------------------------माझाच चेहरा हसतोतुझा चेहरा दिसल्यावरनाजूक फुलांचा वर्षाव होतोतुझा चेहरा हसल्यावर-विलास खैरनार----------------------------------निखळ हास्य तुझेमनाला भावणारमनाच्या कप्प्यातघर करणारं----------------------------------तुला बरसतांना बघूननभ कसं दाटून आलंस्पर्श असा हा थेंबाचाअंग अस भरून आलं----------------------------------तु दिलेला प्रत्येक क्षणमी मोलाचा समजलामी दिलेला प्रत्येक क्षणतु टाईमपास समजला----------------------------------तुझ्या त्या गज-याच्या फुलांचासुगंध अगदी तसा आहे माझ्या श्वासातजपून ठेवला आहे सुगंध सर्वातुझ्या आठवणींच्या खात्यात----------------------------------मेघ दाटून आले कीधरणीसाठी पाऊस पडतोमन भरून आलं कीकवितेसाठी शब्द सुचतो----------------------------------तु नसल्यावर मनतुलाच शोधत असतंतुझा सहवासउगीचच रंगवत बसतं----------------------------------छंद आहे मलाशब्दांशी खेळण्याचानवा अर्थ शोधण्याचामाणसांच्या काळजापर्यंत भिडण्याचाकाळजात नवा खेळ मांडण्याचा----------------------------------वेदनांचे घाव काळजावर पडले नसते तर शब्दांचे योग जुळवून आले नसते ..................................